श्री कृष्ण के दिव्य कर्तव्यों से सुसज्जित भव्य झांकी बनी आकर्षण का केंद्र
राधे कृष्ण का नौका विहार, गोवर्धन लीला और बर्बरीक संवाद ने दर्शकों को किया भावविभोर

भिलाई। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सेक्टर-7 स्थित पीस ऑडिटोरियम में श्रीकृष्ण के दिव्य कर्तव्यों को दर्शाती भव्य जीवंत झांकी सजाई गई है। बहते झरनों और नदियों के मध्य लाइट एंड साउंड इफेक्ट से सुसज्जित यह झांकी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी प्राची दीदी एवं पूर्व मंत्री बदरुद्दीन कुरैशी द्वारा दीप प्रज्वलन से किया गया।
झांकी की प्रमुख झलकियां
उमंग उत्साह से भरपूर कान्हा – प्रवेश द्वार पर बाल रूप में माखन चुराते कान्हा का दृश्य, जो शुद्ध मन और विनम्रता से भरे जीवन का संदेश देता है।
राधे कृष्ण नौका विहार – पर्वतों से बहते झरनों और कलकल बहती नदी में नौका विहार करते राधे-कृष्ण, निश्चिंत और आनंदमय जीवन का प्रतीक।
संस्कार मिलन की महारास – गोप-गोपिकाओं संग श्रीकृष्ण का मधुर व्यवहार, शुभ भावनाओं और शुभकामनाओं से युक्त जीवन का संदेश देता है।
गोवर्धन लीला – सर्व के सहयोग से सुखमय संसार की पहचान कराती श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की झलक।
प्रेम की डोर में बंधे भगवान – मईया यशोदा द्वारा श्रीकृष्ण को रस्सी से बांधने का दृश्य, जो दर्शाता है कि भगवान भी प्रेम की डोर से बंधने को तत्पर रहते हैं।
बर्बरीक-पांडव संवाद – महाभारत युद्ध के बाद बर्बरीक के समक्ष पांडवों के मिथ्या अभिमान का निवारण, अभिमान रहित जीवन का संदेश देता है।
दर्शन की अवध
यह झांकी 25 अगस्त प्रतिदिन संध्या 5:30 से रात्रि 9:30 बजे तक निःशुल्क दर्शनार्थ खुली रहेगी।
झांकी के प्रत्येक दृश्य में करावनहार की शक्ति, कर्तव्य और विनम्रता का दिव्य दर्शन कराते हुए दर्शकों को सरल और सहज जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की प्रेरणा दी जा रही है।