वैशाली नगर के अलग-अलग क्षेत्रों में धूमधाम से निकाली गई गौरा गौरी विसर्जन यात्रा
गौरा गौरी की यह पूजा परंपरा प्राचीन छत्तीसगढ़ से जुड़ी हुई है- विधायक
भिलाई नगर। दीपावली की रात वैशाली नगर विधानसभा के अलग-अलग क्षेत्रों में परंपरा नुसार गौरी-गौरा विवाह का पर्व मनाया गया। इस दौरान मिट्टी के बने गौरी-गौरा, जिन्हें शिव-पार्वती का प्रतीक माना जाता है को स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की गई।
कार्यक्रम में लोक गीतों और नृत्य के बीच उनका विवाह कराया गया। शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन गौरी-गौरा का विसर्जन किया जा रहा है। जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। 31 अक्टूबर की रात वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन ने सेक्टर-6, हाऊसिंग बोर्ड, कोहका, नेहरू नगर, स्मृति नगर सहित सात कालीबाड़ी में पहुंच मां काली की पूजा अर्चना में शामिल हुए। गुरूवार और शुक्रवार को विधानसभा के लगभग 60 गौरी गौरा पूजन आयोजनों में भी विधायक शामिल हुए। आपको बता दें कि दीपावली के मौके पर गौरी गौरा के पूजन का विशेष महत्व है। दीवाली की आधी रात को गौरी गौरा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा का दौर शुरू हुआ जो अगले दिन तक चला। जहां आधी रात को शुरू हुई पूजा के खत्म होने के बाद दिन भर प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए ले जाया गया। इस दौरान छत्तीसगढ़ का पारंपरिक गाड़ा बाज़ा की धुन पर जसगीत गाते श्रद्धालु विसर्जन के लिए प्रतिमाएं तालाब लेकर गए। गौरा गौरी पूजन के अगले दिन भक्त गाजे-बाजे के साथ गौरा गौरी का विसर्जन नदी और तालाबों में करने निकले। इस दौरान भक्त थिरकते हुए इस आयोजन में शामिल हुए। विधायक रिकेश सेन ने कहा कि गौरा गौरी पूजन की यह परंपरा प्राचीन छत्तीसगढ़ से जुड़ी हुई है, जहां मिट्टी से भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियां बनाकर उनकी बारात निकाली जाती है। इस बारात में रात भर भक्त नाचते गाते हैं। मूलतः यह परंपरा आदिवासी समाज द्वारा शुरू की गई थी लेकिन अब सभी समुदाय और जाति के लोग इसमें भाग लेते हैं और वैशाली नगर विधानसभा क्षेत्र गुरूवार और शुक्रवार को दोनों दिन लगभग 60 से अधिक पूजन आयोजनों में शामिल हो मैंने सभी की सुख समृद्धि की कामना की है।